5 Simple Statements About bhairav kavach Explained

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कृपां कुरु जगन्नाथ वद वेदविदां वर ॥ २॥

दुर्भिक्षे राजपीडायां ग्रामे वा वैरिमध्यके ।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति यद्यन्मनसि वर्तते ॥ २॥

नैव सिद्धिर्भवेत्तस्य विघ्नस्तस्य पदे पदे । आदौ वर्म पठित्वा तु तस्य सिद्धिर्भविष्यति ।।



किसी भी प्रकार का कोई भय नहीं होता, सभी प्रकार के उपद्रव शांत हो जाते है।

सर्वपापक्षयं याति ग्रहणे भक्तवत्सले ॥ १२॥

ನಾಗಂ ಘಣ್ಟಾಂ ಕಪಾಲಂ ಕರಸರಸಿರುಹೈರ್ವಿಭ್ರತಂ ಭೀಮದಂಷ್ಟ್ರಂ

ॐ हृीं विश्वनाध: सदा पातु सर्वाँगम मम सर्वधा

वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव में विजय website आदि तो इस विधि से भैरव कवच का पाठ करें।

वेदादिबीजमादाय भगमान् तदनन्तरम् ॥ १७॥

राजस्थाने दुर्गमे च पातु मां सर्वतो मुदा ।

पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।

असीतामगह: सिरह पातु ललाट रुरूः भैरव्ह

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